Friday, 24 March 2017

manjil

                                       मंजिल थका है 



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रख हौसला वो मंजर भी आयेगा, प्यासे के पास चल के समन्दर भी आयेगा, थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर, मंजिल भी मिलेगी... और मिलने का मज़ा भी आयेगा।

जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है, मंजिल के कई इम्तिहान अभी बाकी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीं हमने, अभी तो सारा आसमान बाकी है।

काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये, हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाये, यहाँ ज़िन्दगी तो हर कोई काट लेता है, ज़िन्दगी जियो इस कदर कि मिसाल बन जाये।

Thursday, 23 March 2017


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जीवन क्या है? – What is Life In Hindi


Life – जीवन

विलियम शेक्सपियर (William Shakespeare) ने कहा था कि जिंदगी एक रंगमंच है और हम लोग इस रंगमंच के कलाकार | सभी लोग जीवन (Life) को अपने- अपने नजरिये से देखते है| कोई कहता है जीवन एक खेल है (Life is a game), कोई कहता है जीवन ईश्वर का दिया हुआ उपहार है (Life is a gift), कोई कहता है जीवन एक यात्रा है (Life is a journey), कोई कहता है जीवन एक दौड़ है (Life is a race) और बहुत कुछ|
मैं आज यहाँ पर “जीवन” के बारें में अपने विचार share कर रहा हूँ और बताने की कोशिश करूंगा की जीवन क्या है? (What is Life)|

My Thoughts on Life in Hindi

जीवन क्या है?  – What is Life


मनुष्य का जीवन एक प्रकार का खेल है – Life is a Game और मनुष्य इस खेल का मुख्य खिलाडी|
यह खेल मनुष्य को हर पल खेलना पड़ता है|
इस खेल का नाम है “Game of Thoughts (विचारों का खेल)”|
इस खेल में मनुष्य को दुश्मनों से बचकर रहना पड़ता है|मनुष्य अपने दुश्मनों से तब तक नहीं बच सकता जब तक मनुष्य के मित्र उसके साथ नहीं है|
मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र “विचार (thoughts)” है, और उसका सबसे बड़ा दुश्मन भी विचार (Thoughts) ही है| 
मनुष्य के मित्रों को सकारात्मक विचार (Positive Thoughts) कहते है और मनुष्य के दुश्मनों को नकारात्मक विचार (Negative Thoughts) कहा जाता है|
मनुष्य दिन में 60, 000 से 90, 000 विचारों (Thoughts) के साथ रहता है|
यानि हर पल मनुष्य एक नए दोस्त (Positive Thought) या दुश्मन (Negative Thought) का सामना करता है|
मनुष्य का जीवन विचारों के चयन (Selection of Thoughts) का एक खेल है|
इस खेल में मनुष्य को यह पहचानना होता है कि कौनसा विचार उसका दुश्मन है और कौनसा उसका दोस्त, और फिर मनुष्य को अपने दोस्त को चुनना होता है|
हर एक दोस्त (One Positive Thought) अपने साथ कई अन्य दोस्तों (Positive Thoughts) को लाता है और हर एक दुश्मन (One Negative Thought) अपने साथ अनेक दुश्मनों (Negative Thoughts) को लाता है|
इस खेल का मूल मंत्र यही है कि मनुष्य जब निरंतर दुश्मनों (Negative Thoughts) को चुनता है तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है और अगर वह निरंतर दोस्तों (Positive Thoughts) को चुनता है, तो उसे इसकी आदत पड़ जाती है|
जब भी मनुष्य कोई गलती करता है और कुछ दुश्मनों को चुन लेता है तो वह दुश्मन, मनुष्य को भ्रमित कर देते है और फिर मनुष्य का स्वंय पर काबू नहीं रहता और फिर मनुष्य निरंतर अपने दुश्मनों को चुनता रहता है|
मनुष्य के पास जब ज्यादा मित्र रहते है और उसके दुश्मनों की संख्या कम रहती है तो मनुष्य निरंतर, इस खेल को जीतता जाता है| मनुष्य जब जीतता है तो वह अच्छे कार्य करने लगता है और सफलता उसके कदम चूमती है, सभी उसकी तारीफ करते है और वह खुश रहता है|
लेकिन जब मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य के मित्रो से मजबूत हो जाते है, तो मनुष्य हर पल इस खेल को हारता जाता है और निराश एंव क्रोधित रहने लगता है|
मनुष्य को विचारों के चयन में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है क्योंकि मनुष्य के दुश्मन, मनुष्य को ललचाते है और मनुष्य को लगता है कि वही उसके दोस्त है|
जो लोग इस खेल को खेलना सीख जाते है वे सफल हो जाते है और जो लोग इस खेल को समझ नहीं पाते वे बर्बाद हो जाते है|
इस खेल में ज्यादातर लोगों कि समस्या यह नहीं है कि वे अपने दोंस्तों और दुश्मनों को पहचानते नहीं बल्कि समस्या यह है कि वे दुश्मनों को पहचानते हुए भी उन्हें चुन लेते है|
ईश्वर (या सकारात्मक शक्तियाँ), मनुष्य को समय-समय पर कई तरीकों से यह समझाते रहते है कि इस खेल को कैसे खेलना है लेकिन यह खेल मनुष्य को ही खेलना पड़ता है| जब मनुष्य इसमें हारता रहता है और यह भूल जाता है कि इस खेल को कैसे खेलना है तो ईश्वर फिर उसे बताते है कि इस खेल को कैसे खेलना है|
————————————- यही है जीवन

नीति आयोग

                             नीति आयोग hi friends aaj aapko NITI yani National Institution for transforming India ke bare me batane ...